मैं गूंगी सी हो जाऊंगी
तुम कहीं अचानक मिल जाओ
मैं भावविभोर हो जाऊंगी
तुम बात करोगे अंतराल की
मैं गूंगी सी हो जाऊँगी
कुछ देर बाद जब तुम मुझसे
मेरे बारे में पूछोगे
सचमुच मैं दर्द तनहाइयों का
उस ही पल भूल जाऊँगी
क्या खोया क्या पाया तुमने
तुम हिसाब लगाने बैठोगे
क्या पाऊँगी मैं तुमको पाकर
मैं यही सोचती रह जाऊँगी
तुम चुप चुप से मैं गमसुम सी
इक पल ऐसा भी आएगा
जब तुम होंठों के कम्पन से
मैं आंखों से सारा दर्द कह जाऊंगी